मजदूरों का ट्रकों या फिर भेड़ बकरियों की तरह पैदल प्लायन करने के लिए जिम्मेदार कौन? - खबरी न्यूज़ जौनपुर

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Saturday, May 16, 2020

मजदूरों का ट्रकों या फिर भेड़ बकरियों की तरह पैदल प्लायन करने के लिए जिम्मेदार कौन?


खबरी न्यूज़ जौनपुर

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 मजदूर बेबस है परेशान है उन्हें समझ में नहीं आ रहा है। वो करें तो करे क्या वो अपने घरों की यात्रा पर निकले थे लेकिन जिन मजदूरों की आज जान चली गई उस ने आज देश के सामने कई सवाल खड़े कर दिए है।
जिस तरह की तस्वीर सामने आई है यूपी के औरैया  में हुए भीषण सड़क हादसे में 24 प्रवासी मजदूरों की जान चले गई।
रोजाना 100 से अधिक श्रमिक एक्सप्रेस पटरी के दौड़ रही है प्रवासी मजदूरों को लेकर रोजाना अलग-अलग सूबो से बसे दौड़ रही है। फिर भी जब हादसे की ऐसी  तस्वीर सामने आए सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है
सवाल यह भी उठता है। कि जब लॉक डाउन है एक राज दूसरे राज्य क्या एक जिले दूसरे जिले के सामान्य बसों और ट्रकों के चलने पर मनाई है। फिर भी मजदूरों को लादकर गैर कानूनी तरीके से ट्रक जैसे दूसरे राज्यो की सीमा लांघ रही है।

घर वापसी की टूटी आस.....सड़क पर कुचली सांस
जब से मजदूरों का पैदल प्लान शुरू हुआ है हादसे रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। अब तक औरंगाबाद में 8 मई को मालगाड़ी से कुचलकर 16 मजदूरों की मौत बाराबंकी में,15 मई को 3 मजदूरों की मौत पुणे मे, 14 मई को 8 मजदूरों की मौत मुजफ्फरनगर में, 14 मई को 6 मजदूरों की मौत समस्तीपुर में, 14 मई को दो की मौत कैनूर बिहार में, 15 मई को 1 मजदूर की मौत यह सिर्फ चंद रिकॉर्ड हैं हादसे  कई और शहरों में भी है हुए हैं। या तब हो रहा है जब सरकार मजदूरों को रोजाना श्रमिक एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन चला रही है। जाहिर है ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।

औरैया सड़क हादसा सिर्फ 24 मजदूरों की मौत का मामला नहीं है, या एक दर्दनाक त्रासदी की एक कड़ी है जो हर रोज सड़कों पर नजर आ रही है। सैकड़ों हजारों प्रवासी मजदूर  पैदल साइकिल से ट्रकों पर लदकर शहर से सैकड़ों मील दूर अपने घर को जा रहे हैं। जगह जगह पर हादसे भी हो रहे हैं इसे लेकर सियासत इक बार फिर गरमा गई है।

मजदूरों का ट्रकों या फिर भेड़ बकरियों की तरह पैदल प्लायन करना भी बेहद दर्दनाक है। इससे भी ज्यादा दर्दनाक है मजदूरों की इस बेबसी के साथ खिलवाड़ कुछ लोग मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए मोटी मोटी रकम वसूल रहे हैं। यह कारोबार और कैसे चल रहा है, यह उन घर पहुंचे मजदूरों पूछ सकते हो।

तमाम तस्वीरों की कहानी

                                           सीमेंट के मिक्सर वाले में ट्रक में मजदूर
                                                  कंटेनरो में मजदूर
 सैकड़ों किलोमीटर का सफर और किसी भी हालत में घर पहुंचने की जल्द हो जाए इन लोक डाउन लाखों मजदूर अपने घर जाने के लिए परेशान है और इसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार है। चाहे उन्हें घर जाने के लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े आज लोग गांव से पैसा मांगा मांगा कर फिर गांव जाने के लिए तैयार है।

सरकार को कुछ दिख नहीं रहा या वह सब कुछ देख कर अनजान बनी हुई है
औरैया की हृदय विदारक घटना ने एक बार फिर यह प्रस्न उपस्थित कर दिया है। कि आखिर सरकार क्या सोच कर इन मजदूरों के घर जाने की समुचित व्यवस्था नहीं कर रही है। प्रदेश के अंदर मजदूरों को ले जाने के लिए बस क्यों नहीं चलाई जा रही है या तो सरकार को कुछ दिख नहीं रहा या वह सब कुछ देख कर अनजान बनी हुई है।


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