मुख्यमन्त्री के सारे फरमान बेअसर,पशुशाला में मरे कई मवेसी,अन्य कई घायल,यक्ष प्रश्न कौन लेगा जिम्मेदारी?
अनुपम पाण्डेय✍
*हाल में ही जिलाधिकारी अपने ताने बाने के साथ पहुँचकर किये थे स्थलीय निरीक्षण
*कोई ठोस जबाब देने की स्थिति में नहीं
*मुख्यमंत्री के प्रोजेक्ट पर लग रहा पतीला
खेतासराय।उत्तर प्रदेश सरकार ने छुट्टा पशुवों विशेषकर गोवंशों के संरक्षण हेतु विभिन्न जगहों पर गौशालाओं का निर्माण करा के धन भी अवमुक्त कर दिया ताकि जिम्मेदारों को इसमें किसी प्रकार की कोई कठिनाई न होने पाए।
बावजूद इसके विभिन्न गौशालाओं में पशुओं के दम तोड़ने का सिलसिला जारी है।
ताजा मामला स्थानीय थाना क्षेत्र के शाहपुर में बनें एक अस्थायी गौशाला का है पता चला है कि अब तक तीन मवेशियों को मौत हो चुकी है और लगभग आधा दर्जन से अधिक गम्भीर हैं पूरे 42 पशुओं में से एक कि मौत एक दिन पहले ही जो गई थी और मंगलवार की सुबह दो अन्य पशुओं की मौत हो गयी जिससे वर्तमान में पशुशाला में 39 पशु ही बचें हैं।
सूचना पाकर मौके पर पहुचें पशुचिकित्साधिकारी भी बचकानी बात बताने लगें की पशुओं के बीच चारे को लेकर छीना झपटी हो जाती है जिससे कमजोर पशुओं को भारी पशु मार देतें हैं।
अब सवाल यह है कि जब कई शिफ्टों में कर्मचारी तैनात हैं तो एक मवेशी दूसरे मवेशी को कैसे मार दे रहें हैं?
बता दें कि गायों की मौत से इतना हंगाम इसलिए मचा है क्योंकि यूपी सरकार ने अपने बजट में गौ सेवा के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया था. बावजूद इसके ज्यादातर गायें बदइंतजामी की वजह से अपनी जान गंवा रही हैं।
बतातें चलें कि एक गाय को हर दिन पांच किलो भूसा, एक किलो चोकर, एक किलो सरसों की खली, आधा किलो बिनौल और पांच किलो हरा चारा मिलना चाहिए।
अनुपम पाण्डेय✍
*हाल में ही जिलाधिकारी अपने ताने बाने के साथ पहुँचकर किये थे स्थलीय निरीक्षण
*कोई ठोस जबाब देने की स्थिति में नहीं
*मुख्यमंत्री के प्रोजेक्ट पर लग रहा पतीला
खेतासराय।उत्तर प्रदेश सरकार ने छुट्टा पशुवों विशेषकर गोवंशों के संरक्षण हेतु विभिन्न जगहों पर गौशालाओं का निर्माण करा के धन भी अवमुक्त कर दिया ताकि जिम्मेदारों को इसमें किसी प्रकार की कोई कठिनाई न होने पाए।
बावजूद इसके विभिन्न गौशालाओं में पशुओं के दम तोड़ने का सिलसिला जारी है।
ताजा मामला स्थानीय थाना क्षेत्र के शाहपुर में बनें एक अस्थायी गौशाला का है पता चला है कि अब तक तीन मवेशियों को मौत हो चुकी है और लगभग आधा दर्जन से अधिक गम्भीर हैं पूरे 42 पशुओं में से एक कि मौत एक दिन पहले ही जो गई थी और मंगलवार की सुबह दो अन्य पशुओं की मौत हो गयी जिससे वर्तमान में पशुशाला में 39 पशु ही बचें हैं।
सूचना पाकर मौके पर पहुचें पशुचिकित्साधिकारी भी बचकानी बात बताने लगें की पशुओं के बीच चारे को लेकर छीना झपटी हो जाती है जिससे कमजोर पशुओं को भारी पशु मार देतें हैं।
अब सवाल यह है कि जब कई शिफ्टों में कर्मचारी तैनात हैं तो एक मवेशी दूसरे मवेशी को कैसे मार दे रहें हैं?
बता दें कि गायों की मौत से इतना हंगाम इसलिए मचा है क्योंकि यूपी सरकार ने अपने बजट में गौ सेवा के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया था. बावजूद इसके ज्यादातर गायें बदइंतजामी की वजह से अपनी जान गंवा रही हैं।
बतातें चलें कि एक गाय को हर दिन पांच किलो भूसा, एक किलो चोकर, एक किलो सरसों की खली, आधा किलो बिनौल और पांच किलो हरा चारा मिलना चाहिए।


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